ट्रंप टैरिफ 2025: भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया और वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ भारत की पहली जवाबी कार्रवाई
ट्रंप टैरिफ:भूमिका: global व्यापार में नई चुनौती
वैश्विक व्यापार में नई चुनौती: भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया
2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफने “लिबरेशन डे” के अवसर पर वैश्विक व्यापार में एक नई चुनौती पेश की। उन्होंने सभी देशों से आयातित वस्तुओं पर 10% का सार्वभौमिक टैरिफ और 60 देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर अतिरिक्त “पारस्परिक” टैरिफ लागू किए। भारत पर 26% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ। इस कदम से भारत के स्टील, एल्यूमिनियम, फार्मा, ऑटो और कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। भारत ने इस चुनौती का सामना कूटनीतिक तरीके से किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2025 में व्हाइट हाउस का दौरा किया, जहाँ द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक बढ़ाने पर चर्चा हुई।

और 55% अमेरिकी आयातों पर ट्रंप टैरिफ कम करने का प्रस्ताव दिया। हालांकि, अमेरिका ने अप्रैल 2025 में भारत पर 27% “पारस्परिक टैरिफ” लागू कर दिया। इसके जवाब में, भारत ने मई 2025 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया कि वह अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है। यह कदम भारत की ‘जैसे को तैसा’ नीति का प्रतीक है, जिससे अमेरिका पर दबाव बढ़ाया जा सके। ट्रंप टैरिफ ने वैश्विक व्यापारिक संबंधों में अस्थिरता पैदा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ्स से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़ सकते हैं।
ट्रंप के टैरिफ: भारत पर प्रभाव
ट्रंप के टैरिफ: भारत पर प्रभाव
2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित “लिबरेशन डे” टैरिफ ने वैश्विक व्यापारिक संबंधों में एक नई चुनौती पेश की। इन टैरिफ्स के तहत, अमेरिका ने सभी देशों से आयातित वस्तुओं पर 10% का सार्वभौमिक टैरिफ और लगभग 60 देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर अतिरिक्त “पारस्परिक” ट्रंप टैरिफ लागू किए। भारत पर 26% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ। इस कदम से भारत के स्टील, एल्यूमिनियम, फार्मा, ऑटो और कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। जहाँ द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक बढ़ाने पर चर्चा हुई। भारत ने अमेरिकी मोटरसाइकिल और व्हिस्की पर ट्रंप टैरिफ कम करने, अमेरिकी ऊर्जा और रक्षा उपकरणों के आयात को बढ़ाने, और 55% अमेरिकी आयातों पर टैरिफ कम करने का प्रस्ताव दिया।

हालांकि, अमेरिका ने अप्रैल 2025 में भारत पर 27% “पारस्परिक टैरिफ” लागू कर दिया। इसके जवाब में, भारत ने मई 2025 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया कि वह अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी ट्रंप टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है। यह कदम भारत की ‘जैसे को तैसा’ नीति का प्रतीक है, जिससे अमेरिका पर दबाव बढ़ाया जा सके। ट्रंप के टैरिफ्स ने वैश्विक व्यापारिक संबंधों में अस्थिरता पैदा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ्स से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़ सकते हैं। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका भी जताई जा रही है।
भारत की जवाबी कार्रवाई: ‘जैसे को तैसा’ नीति
भारत की जवाबी कार्रवाई: ‘जैसे को तैसा’ नीति
2025 में अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाए जाने के बाद, भारत ने ‘जैसे को तैसा’ नीति अपनाते हुए जवाबी कार्रवाई की है। 13 मई 2025 को भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया कि वह अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। यह कदम अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित $7.6 बिलियन के भारतीय निर्यात की भरपाई के लिए उठाया गया है।
भारत की प्रस्तावित जवाबी टैरिफ अमेरिकी उत्पादों पर लागू होंगी, हालांकि अभी तक प्रभावित उत्पादों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। यह निर्णय WTO के नियमों के तहत लिया गया है, जो सदस्य देशों को एकपक्षीय टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की अनुमति देते हैं।
इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता भी जारी है। 16 मई 2025 से भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल एक प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका की यात्रा पर हैं, जहाँ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा हो रही है। इस वार्ता का उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक बढ़ाना है।
भारत की ‘जैसे को तैसा’ नीति न केवल आर्थिक हितों की रक्षा के लिए है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस नीति के माध्यम से भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
कृषि क्षेत्र में टैरिफ विवाद
भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर औसतन 37.7% टैरिफ लगाया है, जबकि अमेरिका भारतीय कृषि उत्पादों पर केवल 5.3% टैरिफ लगाता है। इस असंतुलन को लेकर ट्रंप प्रशासन ने नाराजगी जताई है। भारत के लिए कृषि क्षेत्र में टैरिफ कम करना मुश्किल है, क्योंकि लगभग 70 करोड़ भारतीय कृषि पर निर्भर हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और कूटनीतिक प्रयास
भारत ने ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ कूटनीतिक प्रयास तेज किए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा हुई। हालांकि, भारत ने अभी तक अपनी रणनीति स्पष्ट नहीं की है, जिससे विपक्षी दलों ने सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
ट्रंप टैरिफ ने वैश्विक व्यापारिक संबंधों में अस्थिरता पैदा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ्स से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़ सकते हैं। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका भी जताई जा रही है।
निष्कर्ष: संतुलन की आवश्यकता
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए संतुलित और पारदर्शी नीति की आवश्यकता है। दोनों देशों को अपने-अपने हितों की रक्षा करते हुए सहयोग और संवाद के माध्यम से समाधान निकालना चाहिए, ताकि वैश्विक व्यापारिक स्थिरता बनी रहे।
वैश्विक व्यापार में संतुलन की आवश्यकता: भारत के लिए रणनीतिक दिशा
2025 में वैश्विक व्यापार प्रणाली असंतुलन और संरक्षणवाद के दौर से गुजर रही है, जहाँ अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध और अन्य देशों के साथ व्यापारिक तनाव ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अस्थिर बना दिया है। हाल ही में अमेरिका और चीन के बीच 90 दिनों की टैरिफ युद्धविराम की घोषणा ने अस्थायी राहत प्रदान की है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान अभी भी अनिश्चित हैं ।
भारत, जो वैश्विक व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी है, को इस अस्थिरता में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) की निदेशक-जनरल ने जापान की यात्रा के दौरान वैश्विक मुक्त व्यापार की संकटपूर्ण स्थिति पर प्रकाश डाला और जापान से खुले बाजारों की रक्षा में नेतृत्व करने का आग्रह किया । यह संकेत देता है कि भारत जैसे देशों को भी मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के समर्थन में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
BHP के CEO माइक हेनरी ने हाल ही में कहा कि व्यापक मुक्त व्यापार की वापसी “काफी दूर की कौड़ी” है, और उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के माध्यम से संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया । यह दृष्टिकोण भारत के लिए भी प्रासंगिक है, जहाँ उसे अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ संतुलित और पारस्परिक लाभकारी समझौते करने की आवश्यकता है।
भारत को चाहिए कि वह अपनी व्यापारिक नीतियों में संतुलन बनाए रखे, जिससे न केवल वह वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत कर सके, बल्कि घरेलू उद्योगों और उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा कर सके। इसके लिए, भारत को बहुपक्षीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी, द्विपक्षीय समझौतों में पारदर्शिता, और घरेलू नीतियों में लचीलापन अपनाना होगा।
अंततः, वैश्विक व्यापार में संतुलन की आवश्यकता केवल आर्थिक स्थिरता के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक सहयोग और समृद्धि के लिए भी अनिवार्य है। भारत को इस दिशा में सक्रिय और रणनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है, जिससे वह न केवल वर्तमान चुनौतियों का सामना कर सके, बल्कि भविष्य में भी एक मजबूत और स्थिर व्यापारिक भागीदार बना रह सके।
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