नेहरू से लेकर मोदी तक:
भारत की राजनीति का इतिहास गवाह है कि समय-समय पर हमारे प्रधानमंत्री अलग-अलग नेतृत्व शैली और दृष्टिकोण के साथ देश को आगे ले जाने का प्रयास करते रहे हैं। 1947 से लेकर वर्तमान समय तक, हमारे देश ने विभिन्न प्रधानमंत्रियों को देखा है, जिन्होंने अपनी नीतियों, दृष्टिकोण और संकल्पों से राष्ट्र की दिशा को बदलने का काम किया। आइए जानते हैं इन प्रधानमंत्रियों की नेतृत्व यात्रा, उनके योगदान और चुनौतियों के बारे में।
1. पंडित जवाहरलाल नेहरू (1947-1964): आधुनिक भारत के निर्माता
भारत के पहले प्रधानमंत्री, पंडित नेहरू ने आजादी के तुरंत बाद देश को स्थिरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका सपना था एक आधुनिक, औद्योगिक और वैज्ञानिक भारत। उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की और कृषि व उद्योग में विकास को प्राथमिकता दी। स्वतंत्रता के तुरंत बाद, उन्हें विभाजन के बाद की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कश्मीर का मुद्दा भी उनके समय की एक बड़ी चुनौती थी, जिसका असर आज भी देखने को मिलता है।
2. लाल बहादुर शास्त्री (1964-1966): ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा
शास्त्री जी का कार्यकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन उनकी नेतृत्व शैली सरल और प्रभावी थी। उन्होंने 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध का सामना किया और देशवासियों को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देकर सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने देश को खाद्यान्न संकट से निकालने के लिए हरित क्रांति का समर्थन किया, जिससे भारत में कृषि उत्पादन में सुधार हुआ।
3. इंदिरा गांधी (1966-1977, 1980-1984): ‘आयरन लेडी’
इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कीं, जैसे 1971 का भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश का निर्माण। उनका नेतृत्व दृढ़ और सशक्त था, लेकिन आपातकाल का निर्णय उनके कार्यकाल का विवादास्पद हिस्सा बन गया। उन्होंने हरित क्रांति और बैंकों के राष्ट्रीयकरण जैसी नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। अपने अंतिम समय में पंजाब में आतंकवाद से लड़ते हुए उन्होंने अमर बलिदान दिया।
4. राजीव गांधी (1984-1989): डिजिटल इंडिया के स्वप्नदृष्टा
राजीव गांधी ने भारत को टेक्नोलॉजी की नई ऊँचाइयों पर पहुंचाने का प्रयास किया। उनके कार्यकाल में कंप्यूटर और दूरसंचार के क्षेत्र में बदलाव लाए गए। वे युवा और भविष्यवादी थे, जिन्होंने 21वीं सदी के भारत का सपना देखा। उनके कार्यकाल में तमिलनाडु में श्रीलंका के मुद्दे से निपटना और भ्रष्टाचार की समस्याएँ एक चुनौती रहीं।
5. वी.पी. सिंह और चंद्रशेखर (1989-1991): मंडल आयोग और राजनीतिक अस्थिरता
वी.पी. सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कर आरक्षण की शुरुआत की, जो एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन था। उनके बाद चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री पद संभाला, लेकिन उनका कार्यकाल अस्थिरता से भरा रहा। इन दोनों प्रधानमंत्रियों ने राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद समाज में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास किया।
6. पी.वी. नरसिंह राव (1991-1996): आर्थिक उदारीकरण के जनक
नरसिंह राव के कार्यकाल में भारत ने आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाई, जिसने देश को आर्थिक संकट से उबारा और विदेशी निवेश का रास्ता खोला। उनके नेतृत्व में मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहते हुए अर्थव्यवस्था में बड़े सुधार किए गए, जो आगे चलकर भारत की आर्थिक वृद्धि का आधार बने।

7. अटल बिहारी वाजपेयी (1998-2004): पोखरण और सर्वसमावेशी विकास
वाजपेयी जी का नेतृत्व स्थिरता और समावेशी विकास की ओर था। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में विश्व ने पहचान दी। उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शुरू किए और कश्मीर समस्या का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से करने का प्रयास किया। उनका कार्यकाल राष्ट्रवादी दृष्टिकोण और समावेशी विकास के लिए जाना जाता है।
8. मनमोहन सिंह (2004-2014): आर्थिक स्थिरता और समृद्धि की ओर कदम
डॉ. मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान दिया और UPA सरकार के दौरान कई सामाजिक कल्याण योजनाएँ शुरू कीं। उनके कार्यकाल में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) और खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे कई कानून पारित हुए। हालाँकि, उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए, जिसने उनकी छवि को प्रभावित किया।
9. नरेंद्र मोदी (2014-वर्तमान): आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। उन्होंने नोटबंदी और GST जैसे बड़े फैसले लिए, जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाना था। कोविड-19 महामारी में उनके नेतृत्व में टीकाकरण अभियान चलाया गया, जिसने देश को एक नई दिशा दी। उनकी नीतियाँ मुख्य रूप से विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित रही हैं।
निष्कर्ष
भारत के इन प्रधानमंत्रियों ने अपने समय की चुनौतियों का सामना करते हुए देश को आगे बढ़ाने का काम किया है। हर प्रधानमंत्री की अपनी विशेषताएँ और नेतृत्व शैली रही है, जिसने भारत को बदलते समय के साथ कदम मिलाने में मदद की। चाहे पंडित नेहरू का आधुनिक भारत का सपना हो, इंदिरा गांधी का सशक्त नेतृत्व हो, या फिर मोदी का आत्मनिर्भर भारत, सभी ने देश की प्रगति में अपना योगदान दिया है।
भारत की यह नेतृत्व यात्रा केवल इतिहास नहीं, बल्कि हमें प्रेरणा देती है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ निश्चय और संकल्प के साथ देश को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया जा सकता है।
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