पहलगाम हमला: मोदी सरकार की प्रतिक्रिया और विपक्ष की आलोचना

22 अप्रैल 2025 पहलगाम हमला को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 हिंदू पर्यटकों की निर्मम हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया। इस हमले के बाद मोदी सरकार की प्रतिक्रिया और नीति को लेकर विपक्ष और विशेषज्ञों द्वारा कई सवाल उठाए जा रहे हैं।
पहलगाम हमला- सरकार की प्रतिक्रिया और उठते सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले को “चौंकाने वाला और दर्दनाक” बताया और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने का संकल्प लिया। उन्होंने अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में छोड़कर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पांच प्रमुख निर्णय लिए गए:
- पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करना।
- अटारी-वाघा सीमा को बंद करना।
- सार्क वीज़ा छूट योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों की भारत यात्रा पर प्रतिबंध लगाना।
- पहले से जारी सभी पाकिस्तानी वीज़ा को रद्द करना।
- दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से सैन्य सलाहकारों को निष्कासित करना और इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिकों को वापस बुलाना।
गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर में “जीरो टॉलरेंस” नीति की बात करते हुए कहा कि आतंकवादियों को “चुन-चुन कर मारा जाएगा”। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीडब्ल्यूसी बैठक में कहा कि “पहलगाम हमले पर मोदी सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है” ।
पहलगाम हमला -सुरक्षा चूक और विपक्ष की आलोचना
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक को उजागर किया, जिससे विपक्ष ने सरकार की नीति और तत्परता पर सवाल उठाए। बाइसारन घाटी को दो महीने पहले पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था, लेकिन सुरक्षा बलों को इसकी जानकारी नहीं दी गई, । सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेताओं ने सुरक्षा चूक पर चिंता व्यक्त की और सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद हमले की सफलता पर सवाल उठाया, जबकि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि CRPF को बाइसारन घाटी में क्यों नहीं तैनात किया गया और त्वरित प्रतिक्रिया दल को वहां पहुंचने में एक घंटा क्यों लगा। AAP सांसद संजय सिंह ने भी सुरक्षा एजेंसियों की जानकारी के बिना घाटी को खोलने पर नाराजगी जताई और जवाबदेही तय करने की मांग की। हालांकि, विपक्ष ने आतंकवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की, ताकि आंतरिक सुरक्षा पर व्यापक चर्चा हो सके। इस हमले ने सरकार की सुरक्षा नीति और आतंकवाद के प्रति रणनीति की प्रभावशीलता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
पहलगाम हमला- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कूटनीतिक दबाव
अमेरिका ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि भारत की प्रतिक्रिया क्षेत्रीय युद्ध से बचाव के लिए संतुलित होनी चाहिए । चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान को कमजोर करने की कोशिश की, जिससे भारत की कूटनीतिक स्थिति और जटिल हो गई है ।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तीव्र प्रतिक्रिया दी, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक दबाव और तनाव बढ़ गया। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान-समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए तटस्थ जांच की मांग की। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत से संयम बरतने और क्षेत्रीय युद्ध से बचने की अपील की, साथ ही पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की उम्मीद जताई। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी दोनों देशों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान की अपील की। चीन ने पाकिस्तान को कूटनीतिक समर्थन देते हुए दोनों पक्षों से तनाव कम करने का आग्रह किया, जबकि रूस और ब्रिटेन ने पाकिस्तान के लिए यात्रा चेतावनी जारी की। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से पाकिस्तान को दिए जा रहे ऋणों की समीक्षा की मांग की, जिससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर दबाव बढ़ा।
CWC बैठक में आतंकवाद के खिलाफ सरकार को सहयोग देने की बात

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमला के बाद, कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ सरकार को पूर्ण सहयोग देने की बात कही गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह समय राजनीतिक मतभेदों का नहीं, बल्कि एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करने का है। हम सभी एक हैं और मिलकर लड़ेंगे।” उन्होंने सरकार से पीड़ितों को न्याय दिलाने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग की। CWC ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें हमले की कड़ी निंदा की गई और आतंकवाद के खिलाफ सरकार के प्रयासों का समर्थन करने का संकल्प लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कांग्रेस संसद के विशेष सत्र की मांग करेगी, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा पर व्यापक चर्चा हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रणनीति बनाई जा सके। कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ सरकार के साथ खड़ी है और इस संकट से निपटने के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेगी।
CWC बैठक में कौन-कौन शामिल हुए?
पहलगाम हमला 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ सरकार को पूर्ण सहयोग देने की बात कही गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह समय राजनीतिक मतभेदों का नहीं, बल्कि एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करने का है। हम सभी एक हैं और मिलकर लड़ेंगे।” उन्होंने सरकार से पीड़ितों को न्याय दिलाने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग की। CWC ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें हमले की कड़ी निंदा की गई और आतंकवाद के खिलाफ सरकार के प्रयासों का समर्थन करने का संकल्प लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कांग्रेस संसद के विशेष सत्र की मांग करेगी, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा पर व्यापक चर्चा हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रणनीति बनाई जा सके। कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ सरकार के साथ खड़ी है और इस संकट से निपटने के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेगी।
निष्कर्ष
पहलगाम हमला न केवल एक सुरक्षा विफलता है, बल्कि यह मोदी सरकार की कश्मीर नीति की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाता है। सरकार की त्वरित कार्रवाई और कड़े कदमों के बावजूद, विपक्ष और विशेषज्ञों का मानना है कि नीति में स्पष्टता और दीर्घकालिक रणनीति की कमी है। इस संकट से निपटने के लिए सरकार को पारदर्शिता, विपक्ष के साथ संवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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