क्या कर पाएंगे प्रशांत किशोर बिहार को टॉप 10 विकसित राज्यों में शामिल? बिहार की समस्याएं और प्रशांत किशोर की सोच
प्रशांत किशोर, जो एक कुशल चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने हैं, ने बिहार को विकसित राज्यों की सूची में शामिल करने के अपने दृष्टिकोण के साथ एक नई राजनीतिक पार्टी “जन सुराज पार्टी” की स्थापना की है। उनका लक्ष्य है कि अगले दशक में बिहार को देश के शीर्ष 10 विकसित राज्यों में स्थान दिलाया जाए। लेकिन यह सफर आसान नहीं है, क्योंकि बिहार कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों से घिरा हुआ है।
बिहार की समस्याएं और विकास की चुनौतियां
बिहार, भारत का एक पुराना और ऐतिहासिक राज्य है, लेकिन आज यह देश के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। यहां की प्रमुख समस्याओं में गरीबी, बेरोजगारी, खराब बुनियादी ढांचा, और शिक्षा की कमी शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य में जातिवादी राजनीति और भ्रष्टाचार ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है।
बिहार में प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा स्तर और रोजगार की स्थिति अन्य विकसित राज्यों की तुलना में बहुत पीछे हैं। प्रशांत किशोर का मानना है कि राज्य के समग्र विकास के लिए इन बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने अपने राजनीतिक अभियान “जन सुराज” के माध्यम से पूरे राज्य में 5000 गांवों का दौरा किया, जिससे उन्हें लोगों की समस्याओं को गहराई से समझने का मौका मिला।

प्रशांत किशोर की सोच और उनका दृष्टिकोण
प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में बदलाव के लिए एक ठोस और जमीनी स्तर पर काम करने वाली सरकार की जरूरत है। उनका मानना है कि शिक्षा और बुनियादी ढांचे में सुधार के बिना राज्य का विकास संभव नहीं है। वे बिहार की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अगले 10 सालों में ₹5 लाख करोड़ के निवेश की बात करते हैं। उनका यह भी मानना है कि राज्य में शराबबंदी से होने वाले वार्षिक ₹20,000 करोड़ के नुकसान को शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर खर्च किया जा सकता है।
हालांकि, उनका शराबबंदी हटाने का प्रस्ताव विवादित है। इस नीति से वे एक ओर आर्थिक संसाधन जुटाने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर इसका विरोध भी हो रहा है, खासकर उन महिलाओं द्वारा जिन्होंने इस कानून का समर्थन किया था।
राजनीतिक दृष्टिकोण और रणनीति
बिहार की राजनीति में जातिवाद का एक प्रमुख स्थान है। दशकों से, राज्य में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल यूनाइटेड (JD-U) के बीच सत्ता की खींचतान चल रही है। प्रशांत किशोर का मानना है कि लोग अब इन दोनों दलों के राजनीतिक चक्र से थक चुके हैं, और वे एक वैकल्पिक राजनीतिक दृष्टिकोण की तलाश में हैं।
जन सुराज पार्टी के माध्यम से प्रशांत किशोर इस दोहरे राजनीतिक समीकरण को तोड़ना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि बिहार के लोग जातिवादी राजनीति से ऊपर उठकर विकास, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान दें। उनका मानना है कि अगर राज्य को विकसित करना है तो लोगों को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूक होना होगा और जातिवाद से हटकर एक समग्र विकास की दिशा में काम करना होगा।
क्या प्रशांत किशोर कर पाएंगे ये बदलाव?
प्रशांत किशोर का सफर आसान नहीं है। बिहार में जातीय समीकरण और राजनीति बहुत गहरी हैं। राज्य में अति पिछड़ी जातियों का समर्थन नीतीश कुमार को मिला है, वहीं यादव और मुस्लिम समुदाय तेजस्वी यादव और उनके RJD का समर्थन करते हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर को इन मजबूत जातीय आधारों को तोड़ने और अपनी पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में कठिनाई हो सकती है।
प्रशांत किशोर का बिहार में यह प्रयास उसी तरह का है जैसा दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने किया था। लेकिन, बिहार की राजनीति दिल्ली से बहुत अलग है। दिल्ली एक शहरी और शिक्षित राज्य है, जहां लोगों ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के तहत केजरीवाल को समर्थन दिया। वहीं, बिहार एक ग्रामीण राज्य है, जहां शिक्षा और जागरूकता का स्तर अभी भी बहुत कम है।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर के पास बिहार को शीर्ष 10 विकसित राज्यों में शामिल करने का एक स्पष्ट दृष्टिकोण है, लेकिन इसे पूरा करने के लिए उन्हें कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। जातिवाद, बेरोजगारी, और शिक्षा की कमी जैसी समस्याएं उनके सामने सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी।
हालांकि, उनका दृष्टिकोण और उनकी रणनीति बिहार के लोगों को एक नई दिशा और आशा दे सकते हैं। अगर वे अपनी पार्टी के माध्यम से बिहार के लोगों का विश्वास जीत पाते हैं, तो यह राज्य के भविष्य के लिए एक सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनके प्रयासों का परिणाम समय के साथ देखने को मिलेगा, लेकिन उनका यह साहसिक कदम बिहार की राजनीति और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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