
भारत की शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 182.02% की तेजी, FY24 में पहुंची ₹19.60 लाख करोड़
पिछले एक दशक में प्रत्यक्ष कर संग्रहण (Direct Tax Collection) में भारी इजाफा देखने को मिली है। वित्तीय वर्ष 2023-24 (FY24) में यह शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण ₹19.60 लाख करोड़ तक पहुँच गया है, जो कि पिछले दशक के मुकाबले 182.02% की भारी वृद्धि दर्शाता है। इस लेख में हम इस उल्लेखनीय वृद्धि के कारणों, आर्थिक प्रभावों और इससे जुड़े नीतिगत परिवर्तनों का विश्लेषण करेंगे।
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प्रत्यक्ष कर: एक परिचय
प्रत्यक्ष कर वह कर होते हैं, जो व्यक्ति या संस्थान की आय, संपत्ति, या लाभ पर लगाए जाते हैं। इन करों का भुगतान सीधे करदाता द्वारा किया जाता है। भारत में प्रत्यक्ष कर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
- आयकर (Income Tax): यह कर व्यक्तियों और गैर-कॉर्पोरेट संस्थाओं की आय पर लगाया जाता है।
- कॉपोर्रेट कर (Corporate Tax): यह कंपनियों के लाभ पर लगाया जाने वाला कर है।
प्रत्यक्ष कर एक महत्वपूर्ण साधन होते हैं जिससे सरकार को राजस्व मिलता है, और यह करदाताओं की आर्थिक स्थिति को प्रतिबिंबित भी करता है।
182.02% की वृद्धि: क्या हैं कारण?
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 182.02% की वृद्धि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस तेज़ी के पीछे कई कारक हैं, जो मिलकर इस परिवर्तन को संभव बनाते हैं। आइए, इन प्रमुख कारकों पर नज़र डालते हैं:
1. आर्थिक सुधार और डिजिटलीकरण:
पिछले एक दशक में भारत में डिजिटल क्रांति आई है। सरकार की ओर से उठाए गए कई सुधारात्मक कदम, जैसे ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’, ने व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। डिजिटलीकरण के कारण कर संग्रहण प्रणाली अधिक पारदर्शी और कुशल बन गई है। आयकर रिटर्न दाखिल करने और टैक्स पेमेंट की प्रक्रियाएं सरल हो गई हैं, जिससे अधिक लोग स्वेच्छा से टैक्स देने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं।
2. कंप्लायंस में सुधार:
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कर अनुपालन (Tax Compliance) सुधारने पर विशेष ध्यान दिया है। ‘विवाद से विश्वास’ योजना जैसे कदमों ने कर विवादों को सुलझाने और करदाताओं के मन में विश्वास बढ़ाने का काम किया। इसके साथ ही, टेक्नोलॉजी के उपयोग से फर्जी रिटर्न फाइलिंग और कर चोरी के मामलों में कमी आई है।
3. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion):
भारत में वित्तीय समावेशन के प्रयासों, जैसे जन धन योजना, ने लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ने का काम किया है। इसके कारण व्यक्तिगत और व्यापारिक आय का पारदर्शी रिकॉर्ड बनाना संभव हुआ, जिससे टैक्स बेस का विस्तार हुआ और सरकार को ज्यादा से ज्यादा कर संग्रह करने में मदद मिली।
4. कर दरों में सुधार और सरलीकरण:
पिछले कुछ वर्षों में कॉर्पोरेट कर दरों में कई सुधार किए गए हैं। सितंबर 2019 में, सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स की दर को 30% से घटाकर 22% कर दिया था, जिससे कई उद्योगों को राहत मिली और करदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई। इसके साथ ही, व्यक्तिगत आयकर में भी स्लैब आधारित सरलीकरण किया गया, जिससे करदाताओं का बोझ कम हुआ और कर संग्रहण बढ़ा।
5. नए करदाताओं की संख्या में वृद्धि:
आधार और पैन कार्ड के एकीकरण ने करदाताओं की पहचान को सरल बना दिया है, जिससे नए करदाताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। सरकार द्वारा उठाए गए कई सख्त कदमों, जैसे ‘सर्जिकल स्ट्राइक ऑन ब्लैक मनी’, ने भी अघोषित आय के टैक्स नेट में आने का रास्ता तैयार किया।
भारत की शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 182.02% की तेजी 2024 :FY24 का ऐतिहासिक प्रदर्शन
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, भारत ने प्रत्यक्ष कर संग्रहण के मामले में एक ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। ₹19.60 लाख करोड़ का यह आंकड़ा पिछले दशक की तुलना में बहुत बड़ी छलांग है। 2014 में प्रत्यक्ष कर संग्रहण लगभग ₹6.95 लाख करोड़ था, जो अब ₹19.60 लाख करोड़ तक पहुँच गया है। यह न केवल सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकासशीलता का प्रतीक भी है।
कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत आयकर में योगदान
वित्तीय वर्ष 2023-24 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण में व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स दोनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। व्यक्तिगत आयकर संग्रहण में जहाँ मध्यम वर्ग और उभरते पेशेवरों की भूमिका महत्वपूर्ण रही, वहीं कॉर्पोरेट टैक्स में बड़े उद्योगों और स्टार्टअप्स का योगदान भी बढ़ा है। कॉर्पोरेट सेक्टर में आर्थिक वृद्धि और बढ़ती निवेश प्रवृत्ति ने इस संग्रहण को और बढ़ाया है।
क्षेत्रीय विविधता और कर संग्रहण
भारत में कर संग्रहण का पैटर्न क्षेत्रीय आधार पर भी विविधतापूर्ण रहा है। आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य, जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, और गुजरात, प्रत्यक्ष कर संग्रहण में अग्रणी रहे हैं। इन राज्यों में व्यापारिक गतिविधियों और औद्योगिक उत्पादन में तेज़ी आई है, जो कि कर संग्रहण के बड़े स्रोत रहे हैं।
आर्थिक प्रभाव और सरकार की योजनाएँ
182.02% की इस तेजी से न केवल कर संग्रहण में वृद्धि हुई है, बल्कि इससे सरकार को अपने विकास योजनाओं के लिए आवश्यक धनराशि भी प्राप्त हुई है। इस बढ़ते राजस्व ने सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसंरचना और सामाजिक कल्याण के लिए अधिक बजट आवंटित करने में मदद की है।
सरकारी खर्च और वित्तीय योजनाएँ
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में सामाजिक कल्याण, डिजिटल बुनियादी ढांचे और औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर खर्च किया है। विशेषकर ग्रामीण विकास, कृषि सुधार, और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश ने न केवल देश की समग्र विकास दर को बढ़ाया है, बल्कि करदाताओं की आय को भी प्रभावित किया है।
भविष्य की योजनाएँ और कर सुधार
हालांकि शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन सरकार अभी भी सुधार और विस्तार की दिशा में काम कर रही है। ई-गवर्नेंस, डिजिटल भुगतान और कर दायरे में और अधिक सुधार की योजनाएँ हैं। इसके अलावा, छोटे और मझोले उद्योगों के लिए कर राहत और आर्थिक प्रोत्साहन योजनाएँ भी बनाई जा रही हैं ताकि व्यापारिक गतिविधियाँ और बढ़ें और कर संग्रहण के और अधिक अवसर उत्पन्न हों।
निष्कर्ष
भारत की शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 182.02% की वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह उपलब्धि न केवल आर्थिक सुधारों, डिजिटलीकरण और कर सुधारों का परिणाम है, बल्कि सरकार के लगातार प्रयासों और करदाताओं की सहभागिता का प्रतीक भी है।
आगे चलकर, यह अपेक्षा की जा रही है कि सरकार कर संग्रहण को और भी पारदर्शी और व्यापक बनाने के लिए नए उपायों पर काम करेगी। इस ऐतिहासिक सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर सही नीतियाँ और रणनीतियाँ अपनाई जाएँ, तो भारत की अर्थव्यवस्था और कर संग्रहण प्रणाली में और भी बड़ी प्रगति हो सकती है।