सीवान, बिहार: शराब पीने से कई लोगों की मौत, प्रशासन में हड़कंप
बिहार के सीवान जिले में अवैध शराब के सेवन से एक बार फिर कई लोगों की जान चली गई है। इस घटना ने जिले में हड़कंप मचा दिया है और प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। बिहार में शराबबंदी के बावजूद ऐसे हादसों का बार-बार होना राज्य सरकार की नीतियों और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
घटना का विवरण
सीवान जिले के कई गांवों में बीते 48 घंटों के भीतर संदिग्ध जहरीली शराब पीने से करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में ज्यादातर मजदूर और गरीब परिवारों के सदस्य शामिल हैं, जो रोज़ी-रोटी की तलाश में दिनभर मेहनत करते थे। बताया जा रहा है कि उन्होंने एक स्थानीय दुकानदार से सस्ती कीमत पर शराब खरीदी थी। घटना के बाद कुछ ही घंटों में पीड़ितों की हालत बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, समय पर इलाज न मिलने के कारण कई लोगों ने दम तोड़ दिया।
मौतों का सिलसिला और प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध शराब का कारोबार सीवान में लंबे समय से फल-फूल रहा है। प्रशासन को इस बात की जानकारी होने के बावजूद कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। घटना के बाद प्रशासन ने कुछ दुकानों और शराब माफियाओं पर छापेमारी की, लेकिन अब तक कोई बड़ी मछली पकड़ी नहीं जा सकी है।
इस बीच, पुलिस प्रशासन का कहना है कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। एसपी ने मीडिया को बताया कि “मृतकों के परिवारों से बात की जा रही है, और घटना के पीछे कौन लोग हैं, इसका पता लगाया जा रहा है। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ जारी है।”
परिवारों का दर्द और रोष
मृतकों के परिवारों का दर्द बयां नहीं किया जा सकता। कई घरों में मातम पसरा हुआ है, और लोगों का प्रशासन के प्रति गुस्सा भी उभरकर सामने आ रहा है। एक पीड़ित के परिजन ने बताया, “हमने कई बार पुलिस को शिकायत की थी कि गांव में अवैध शराब बेची जा रही है, लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। अब जब हमारे घरों के चिराग बुझ गए हैं, तब प्रशासन सक्रिय हो रहा है।”
अस्पताल में भर्ती कुछ लोगों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने जो शराब पी थी, उसमें अत्यधिक मात्रा में मिथेनॉल था, जो सीधे तौर पर जानलेवा हो सकता है। मिथेनॉल एक तरह का जहरीला रसायन है, जिसे अक्सर सस्ती शराब बनाने के लिए मिलाया जाता है। इसके सेवन से अंधापन, शरीर में ऐंठन, उल्टी और अंततः मौत हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी पार्टियों ने नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में शराबबंदी एक दिखावा बनकर रह गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, “बिहार में शराबबंदी की असलियत सबके सामने है। सरकार की नाक के नीचे अवैध शराब का कारोबार हो रहा है और निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। यह कानून व्यवस्था की असफलता का जीता-जागता उदाहरण है।”
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा, “बिहार सरकार शराबबंदी के नाम पर सिर्फ लोगों को गुमराह कर रही है। इस तरह की घटनाएं साबित करती हैं कि राज्य सरकार की नीतियां पूरी तरह विफल हो चुकी हैं।”
शराबबंदी की सच्चाई और चुनौतियां
बिहार में 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी। इस फैसले के पीछे महिलाओं और सामाजिक संगठनों का बड़ा समर्थन था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में राज्य में जहरीली शराब से मौतों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 2023 में ही बिहार में जहरीली शराब से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद शराब माफियाओं का एक समानांतर नेटवर्क तैयार हो गया है, जो राज्य के कई हिस्सों में सक्रिय है। इन माफियाओं के पास अत्याधुनिक तकनीक है, जिससे वे बड़ी मात्रा में शराब बनाते और वितरित करते हैं। कानून के डर से लोग छिप-छिपकर शराब खरीदते हैं, जिससे उन्हें यह पता नहीं चल पाता कि वे क्या पी रहे हैं।
प्रशासन की जिम्मेदारी और आगे की राह
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार में शराबबंदी केवल कागजों पर है। जमीन पर हालात बिल्कुल अलग हैं। प्रशासन को चाहिए कि वे अपनी नीतियों की समीक्षा करें और शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सख्त कदम उठाएं।
साथ ही, लोगों में जागरूकता बढ़ाने की भी जरूरत है, ताकि वे अवैध और जहरीली शराब के सेवन से बच सकें। स्थानीय स्तर पर पंचायतों और सामाजिक संगठनों को भी इस अभियान में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा, प्रशासन को अवैध शराब के ठिकानों और उनके सप्लाई चैन को तोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए।
निष्कर्ष
सीवान की यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि बिहार में अवैध शराब के बढ़ते जाल की एक गंभीर चेतावनी है। जब तक प्रशासन और सरकार मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं ढूंढते, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और निर्दोष लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे।
बिहार के लोगों को भी यह समझने की जरूरत है कि शराबबंदी उनके हित में है, लेकिन कानून का उल्लंघन करके अवैध शराब खरीदना न केवल कानून तोड़ना है, बल्कि अपनी जान को भी खतरे में डालना है। सरकार को इस घटना से सबक लेते हुए तुरंत और कड़े कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
शराबबंदी का मकसद तभी पूरा हो सकेगा, जब लोग खुद इसे स्वीकार करें और प्रशासन भी इसे पूरी ईमानदारी के साथ लागू करे। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो सीवान की यह घटना केवल एक उदाहरण बनकर रह जाएगी, और बिहार में शराब से मौतों का सिलसिला जारी रहेगा।