दीवाली क्यों मनाई जाती है? दीवाली, जिसे ‘दीपावली’ भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिन्दू त्यौहार है जो भारत और विश्वभर में भारतीय समुदायों द्वारा मनाया जाता है। यह उत्सव अंधकार पर प्रकाश, अज्ञानता पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस महत्वपूर्ण त्यौहार में विभिन्न परंपराएँ और अनुष्ठान शामिल होते हैं।
- माता लक्ष्मी का जन्मदिन: हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन उनका अवतारण हुआ था, जिसे दीवाली के दिन विशेष रूप से मनाया जाता है।
- श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध: दिवाली से एक दिन पूर्व, श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जो तीनों लोकों में आतंक मचाए हुए था। उसकी मृत्यु के उपलक्ष्य में दो दिन तक विजयोत्सव मनाया जाता है।
- भगवान राम की अयोध्या वापसी: रामायण के अनुसार, भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने रावण को हराने के बाद कार्तिक मास की नई रात को अयोध्या में प्रवेश किया था। अयोध्या के निवासियों ने उनके स्वागत में पूरे शहर को दीपों से सजाया था।
- सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक: दीवाली के दिन को विक्रमादित्य, जो कि एक महान हिन्दू राजा थे, के राज्याभिषेक के रूप में भी मनाया जाता है।
- जैन धर्म में महावीर स्वामी का निर्वाण: दीवाली के दिन को जैन धर्म में भी विशेष माना जाता है क्योंकि इसी दिन महावीर स्वामी ने मोक्ष प्राप्त किया था।
- सिख धर्म में गुरु हरगोबिंद साहिब की मुक्ति: दीवाली के दिन को सिख धर्म में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन गुरु हरगोबिंद साहिब को मुगल सम्राट जहांगीर की कैद से मुक्ति मिली थी।
इसी तरह, दीवाली का उत्सव विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक घटनाओं को याद करने का एक मौका प्रदान करता है जिससे सभी को आशा, खुशी और समृद्धि का संदेश मिलता है। यह त्योहार न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में भारतीय समुदाय द्वारा बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।