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कौन हैं विकाश यादव? जिसको एफबीआई का ‘वांटेड’ घोषित किया गया !2024

विकाश यादव

Ex-RAW अधिकारी विकाश यादव पर एफबीआई का ‘वांटेड’ घोषित: गुरपतवंत पन्नू हत्या साजिश में लगे गंभीर आरोप

विकाश यादव, जो भारत की खुफिया एजेंसी RAW (Research and Analysis Wing) के पूर्व अधिकारी हैं, को अमेरिकी संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने हाल ही में “वांटेड” घोषित किया है। उन्हें खालिस्तान समर्थक और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोपों में फंसाया गया है। यह मामला अमेरिका और भारत दोनों देशों के लिए बेहद संवेदनशील है क्योंकि इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिशोधी हिंसा का मुद्दा जुड़ा हुआ है।

कौन हैं विकाश यादव?

विकाश यादव का जन्म हरियाणा में हुआ था और वह भारतीय खुफिया सेवा में लंबे समय तक कार्यरत रहे। वे भारत के कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत थे, जो कि RAW की प्रमुख शाखा है। वह सुरक्षा प्रबंधन और खुफिया जानकारी से जुड़े कार्यों के प्रभारी थे। आरोपों के मुताबिक, उन्होंने अपना आधिकारिक पद का उपयोग गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की योजना बनाने में किया।

क्या हैं आरोप?

विकाश यादव पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। एफबीआई और अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, यादव ने 2023 में एक संगठित हत्या की साजिश रची थी, जिसमें उन्होंने अपने सह-साजिशकर्ता निखिल गुप्ता के माध्यम से एक हिटमैन (भाड़े का हत्यारा) को पन्नू की हत्या करने के लिए नियुक्त किया था।

गुप्ता, जो खुद भी एक भारतीय नागरिक हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में लिप्त थे, ने अमेरिकी DEA (Drug Enforcement Administration) के एक अंडरकवर एजेंट से संपर्क किया था, जिसे वे एक वास्तविक अपराधी समझ रहे थे। उन्होंने पन्नू की हत्या के लिए $100,000 की पेशकश की थी, जिसमें से $15,000 एडवांस के रूप में भुगतान भी किया गया था।

हत्या की साजिश का पर्दाफाश कैसे हुआ?

हत्या की यह योजना तब विफल हो गई जब DEA का अंडरकवर एजेंट, जो कि खुद को हिटमैन बता रहा था, ने मामले की जानकारी अमेरिकी एजेंसियों को दी। इसके बाद अमेरिकी सुरक्षा बलों ने इस हत्या साजिश को बेनकाब कर दिया।

अधिकारियों के अनुसार, विकाश यादव ने पन्नू के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे उनका पता, फोन नंबर, और दिनचर्या के बारे में जानकारी गुप्ता को दी थी। गुप्ता ने यह सारी जानकारी आगे हिटमैन (अंडरकवर एजेंट) को भेजी थी।

पन्नू की हत्या क्यों करना चाहते थे?

गुरपतवंत सिंह पन्नू एक खालिस्तान समर्थक नेता हैं और Sikhs for Justice (SFJ) नामक संगठन के प्रमुख हैं। वह भारत सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं और अक्सर खालिस्तान के मुद्दे पर जनमत संग्रह और प्रचार करते रहे हैं। पन्नू की गतिविधियाँ भारत सरकार के खिलाफ रही हैं, और उन्होंने अमेरिका में अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर भारत के खिलाफ अभियान चलाए। ऐसा माना जा रहा है कि पन्नू की हत्या की योजना उनके इसी अभियान के कारण बनाई गई थी।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिकी अधिकारियों ने इस साजिश को बहुत गंभीरता से लिया है। एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कहा कि इस तरह की हिंसा और प्रतिशोधी हमलों को अमेरिकी धरती पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में लोग अपने प्रथम संशोधन अधिकारों का उपयोग करके स्वतंत्र रूप से बोल सकते हैं, और अगर कोई विदेशी ताकतें इस अधिकार को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करती हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

निखिल गुप्ता की भूमिका

निखिल गुप्ता, जो विकाश यादव के सहयोगी थे, पहले से ही अमेरिका में गिरफ़्तार हो चुके हैं और उन पर भी इसी साजिश के तहत आरोप लगे हैं। गुप्ता ने यादव के निर्देश पर पन्नू की हत्या के लिए हिटमैन की खोज शुरू की थी और साजिश के दौरान हर कदम पर यादव से निर्देश प्राप्त किए थे।

भारतीय सरकार की स्थिति

इस मामले पर भारतीय सरकार की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, विकाश यादव की भूमिका और उनके सरकारी पद के बारे में चर्चा से यह मामला और भी जटिल हो जाता है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर पहले भी खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन यह मामला अमेरिका की धरती पर हुआ है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक संवेदनशील मुद्दा है।

क्या हो सकता है आगे?

अमेरिकी एजेंसियों ने विकाश यादव की गिरफ्तारी के लिए व्यापक अभियान छेड़ दिया है। एफबीआई ने उन्हें “वांटेड” घोषित किया है, और उनके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो सकता है। अगर भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उन्हें अमेरिका लाया जाता है, तो उन पर अमेरिकी न्यायालय में मुकदमा चलाया जा सकता है।

निष्कर्ष

विकाश यादव का नाम इस अंतरराष्ट्रीय साजिश में आने के बाद यह मामला न केवल भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में खालिस्तान मुद्दे पर भी नया मोड़ ला सकता है। भारत सरकार के आलोचकों के खिलाफ इस तरह की साजिशें और हिंसा की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के तौर पर देखी जा रही हैं।

गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे व्यक्तियों को उनके राजनीतिक विचारों के लिए निशाना बनाने की यह साजिश स्पष्ट रूप से बताती है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ आलोचना करने वालों के लिए खतरा कितना वास्तविक हो सकता है।

अमेरिकी प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा, चाहे इसके लिए विदेशी अधिकारियों या एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों न करनी पड़े। विकाश यादव के खिलाफ आरोपों का आधार गहरा और संवेदनशील है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

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