48 घंटे का अलर्ट: पंजाब‑हरियाणा में लू,दिल्ली‑NCR में तूफ़ानी बारिश की चेतावनी
48 घंटे का अलर्ट शुरूआती परिचय और हेडलाइन
अगले 48 घंटे में भारी बारिश का अलर्ट! इन जिलों में IMD की ताज़ा चेतावनी, जानें तैयारी, बचाव और सावधानियाँ
भारत मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटे का अलर्ट (2 दिन) के लिए देश के कुछ विशेष क्षेत्रों में भारी से अति-भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इनमें उत्तराखंड, हरियाणा–पंजाब–चंडीगढ़–दिल्ली, मध्य प्रदेश के कई जिलों, बिहार–झारखंड–बंगाल, कर्नाटक, एवं केरल–तमिलनाडु भी शामिल हो सकते हैं।
IMD की ताज़ा आधिकारिक चेतावनियाँ
IMD Alert: अगले 48 घंटे का अलर्ट में भारी बारिश एवं ओलावृष्टि

मुताबिक मौसम विभाग ने अगले 2 दिनों (48 घंटे) के लिए उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी दी है, साथ ही गंभीर तेज़ हवाओं (30–40 kmph) से भी आगाह किया है
कई राज्यों में “झमाझम बारिश और ओलावृष्टि” का अलर्ट जारी है, इसी कारण किसानों, ग्रामीणों और यात्रा‑प्रेमियों को सतर्क रहने को कहा गया है ।
उत्तराखंड: पहाड़ी इलाकों की हाई वोल्टेज सतर्कता

उत्तराखंड के सभी जिलों में अगले 48 घंटे तक भारी बारिश की संभावना है। प्रशासन ने ट्रैवेलर सजग करने के लिए एसडीआरएफ टीमों को नदी किनारों पर तैनात कर दिया है ।
इसमें विशेष रूप से ज़िला जैसे उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, आदि शामिल हैं।
हरियाणा–पंजाब–चंडीगढ़–दिल्ली: लैजेंडरी ज़मीन पर चेतावनी
IMD के क्षेत्रीय केंद्रों ने इन क्षेत्रों में अगले 48 से 72 घंटे के भीतर भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका जताई है। इन राज्यों में ओलावृष्टि, तूफ़ानी हवा और बिजली गिरने का खतरा गंभीर है
48 घंटे का अलर्ट हीटवेव (गर्मी की लहर) – रेड अलर्ट
- IMD ने पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों के साथ-साथ चंडीगढ़ और दिल्ली‑NCR में गंभीर हीटवेव (extreme heatwave) का रेड अलर्ट जारी किया है, जो 13 जून से शुरू होकर अगले 48 घंटों तक प्रभावशाली रहेगा
- उदाहरणस्वरूप, हरियाणा के एक जिलों में 48 °C तक तापमान पहुँच सकता है जबकि दिल्ली के कई इलाकों में ‘फील्स लाइक’ तापमान 50–52 °C तक पहुँच चुका है ।
- IMD के अनुसार, heatwave तब घोषित होता है जब टॉप तापमान 45 °C या उससे ऊपर हो, या सामान्य से 4.5 °C अधिक हो – और यह कंडीशन्स जारी हैं क्या करें:
- दोपहर (12–4 PM) के बीच बाहर निकले तो जोखिम बढ़ता है – घर में रहें, हल्के कपड़े पहनें, खूब पानी पिएं।
- सार्वजनिक स्थानों (कोचिंग, मार्केट, कामकाज) पर कोल्ड वॉटर / ORS की सुविधा तथा कूलिंग सेंटर की उपलब्धता ज़रुरी है ।
- उमस बढ़ने से दिक्कत हो सकती है, इसलिए पर्याप्त नींद, ठंडे कपड़े, और भारहीन आहार अपनाएं।
48 घंटे का अलर्ट प्री‑मानसून गतिविधियां — बारिश, आंधी‑तूफ़ान, बिजली गिरने की संभावना

- IMD ने अगले 48 घंटों में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में थंडरस्टॉर्म (गर्जना–चमक) और तेज़ हवाओं (40‑60 km/h) की चेतावनी दी है कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और बिजली गिरने की संभावना भी बनी हुई है, साथ ही हवा की रफ्तार 50–60 km/h तक पहुँच सकती है
- 13–15 जून से शुरू होकर हल्की बारिश और आंधी‑तूफ़ान की संभावनाएँ बनी रहेंगी, वहीं 14–17 जून के बीच मानसून की असर भी महसूस होने लगेगी
क्या करें:
- बाहर निकलते समय बारिश–प्रूफ़ जैकेट, छाता या रेनकोट साथ रखें।
- गाड़ियों का ड्राइविंग करते समय और बिजली गिरने की स्थिति में टैंकरों से दूर, पेड़ों से दूरी बनाए रखें, और खोलों, तारों से भी बचें।
- घर, ऑफिस या स्कूलों में बिजली उपकरणों को अनप्लग रखना सुरक्षित रहेगा।
- मौसम जैसी ही बारिश शुरू हो, मौसम विभाग (IMD) की लगातार अपडेट चेक होती रहे।
सारांश टेबल
क्षेत्र | चेतावनी स्तर | संभावित प्रभाव |
पंजाब, हरियाणा | रेड (हीटवेव) | 45–48 °C + उमस, लू, हृदय-सम्बंधित जोखिम |
दिल्ली–NCR | रेड (हीटवेव), येलो | 43–45 °C तापमान, ऊर्जा और पानी के संकट |
सातारा (चंडीगढ़) | रेड अलर्ट | हीट स्ट्रेस और स्वास्थ्य पर प्रभाव |
पूरे क्षेत्र | येलो–ऑरेंज | बारिश, गरज–चमक, 40–60 km/h तेज हवाएं |
तुरंत ध्यान देने योग्य कार्य
- हीटवेव से बचाव: हाइड्रेटेड रहें, बाहर से बचें, बालकनी/सीढ़ियों पर पंखा/कूलर।
- बारिश/आंधी: बाहरी सामान सुरक्षित करें, बिजली संबंधी सावधानियाँ अपनाएं।
- मौसम अपडेट फ़ॉलो करें: IMD वेबसाइट, ऐप्स, न्यूज चैनल्स से ताज़ा अलर्ट जानिए।
- हेल्पलाइन नंबर: स्थानीय आपदा/मौसम सेवाओं, अस्पताल, बिजली–पानी सपोर्ट नंबर याद रखें।
अधिकारियों को सलाह (Haryana Govt, Punjab Govt, MCD आदि)
- हीट-विजिल – सार्वजनिक भवनों, स्कूलों, पार्कों में वेन्टिलेशन, कूलिंग स्टेशन, ORS और पानी के फव्वारे।
- मौसम–हेल्पलाइन 24×7 एक्टिव, सोशल मीडिया के ज़रिए सतर्कता बढ़ाएं।
- ड्राइविंग स्कूल / ट्रैफिक पुलिस को भीषण मौसम में सावधानी बढ़ाने के निर्देश दें।
आगे का रुख (Next 2–5 दिन)
- 13–14 जून: हीटवेव का पीक और रेड अलर्ट; शाम को संभव बारिश‑आंधी (especially Delhi NCR).
- 14–17 जून: मानसून गतिविधियों का आगमन – बारिश, गरज‑चमक, हल्की ठंडक।
- तापमान में 2–4 °C की गिरावट शुरू होगी, साथ ही वातावरण में राहत का अहसास मिलेगा
संदेश दोहराएं:
अगले 48 घंटे का अलर्ट
- रेड अलर्ट: हीटवेव + तेज़ बारिश/आंधी
- सबसे जरूरी: गर्मी से बचाव, बिजली उपकरण बंद करें, बारिश के दौरान घर और बाहर की तैयारियाँ करें
यदि आप चाहें तो हम क्षेत्र‑वार डिटेल जैसे गुरुग्राम, फरीदाबाद, अमृतसर, लुधियाना आदि के लिए भी इन्हीं चेतावनी और सावधानियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर सकते हैं। कृपया बताएं!
मध्य प्रदेश: रेड–ऑरेंज अलर्ट, बांध भी खोल दिए गए
मध्य प्रदेश में अगले 48 घंटे के लिए छत्तीसग़ढ़, एमपी संभागों, 30+ जिलों में भारी बारिश का प्रशासन ने “रेड–ऑरेंज–येलो अलर्ट” दिया है।
- उदाहरण: सीहोर, रायसेन, दमोह, सागर में बिजली–ओलावृष्टि के साथ अति-भारी बारिश।
- इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर जैसे बांधों के गेट खोल दिए गए हैं ।
48 घंटे का अलर्ट बिहार–झारखंड–पश्चिम बंगाल–ओडिशा: मानसून वेस्टर्न डिस्ट्रबेंस का असर
मौसम विभाग ने अगले 4–5 दिनों के लिए इन राज्यों में भारी बारिश का रेड–ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
विशेषतः उत्तर भारत में मानसून सक्रिय है—पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश कई जिलों में भारी बारिश देखने को मिल सकती है
48 घंटे का अलर्ट कर्नाटक: मॉनसून फ्रंट सक्रिय
कर्नाटक के 30 जिलों में (बेंगलुरु सहित) अगले 4–5 दिनों तक हल्के से भारी बारिश की संभावना है।
शनिवार को कोस्टल वेस्टर्न घाट्स में रेड अलर्ट, केंद्रीय इलाकों में ऑरेंज व अन्य इलाकों में येलो अलर्ट रहेगा ।
केरल–तमिलनाडु: अरब सागर और बंगाल की खाड़ी पर सर्कुलेशन
जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ की तरह से सक्रिय चक्रवात प्रणाली से इन राज्यों में तेज बारिश, ओलावृष्टि और तेज़ हवाओं की संभावना है
2. मौसम विज्ञान: क्यों बनती है अचानक भारी बारिश?
2.1 मॉनसून फ्रंट और वेस्टर्न डिस्ट्रबेंस
- मानसून रेखा की आना और पश्चिमी विक्षोभ व चक्रवातिक सर्कुलेशन जमा हवा से मिलकर चारों ओर से वायुमंडलीय नमी खींचते हैं।
- इन प्रणालियों के मिलन से बड़े पैमाने पर घने बादल और तेज़ वर्षा होती है।
2.2 ट्रफ लाइन और ओरोग्राफिक प्रभाव
- पट्टियों/ट्रफ्स (तापमान एवं दबाव के टूटने) में उठते बादल अक्सर पहाड़ी रेंज जैसे हिमालय, घाट इत्यादि पर जाकर भारी बारिश को ट्रिगर करते हैं।
लैंडस्केल्पेटिव इम्पैक्ट
2.3 लैंडस्केपीटिव इम्पैक्ट (भू–आकृतिक प्रभाव)
भारी बारिश और तूफ़ानी गतिविधियों पर भू–आकृतिक संरचना का गहरा असर होता है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में लैंडस्केपीटिव इम्पैक्ट कहा जाता है। आइए समझें कि यह प्रभाव हरियाणा–पंजाब–चंडीगढ़–दिल्ली जैसे फ्लैट क्षेत्र में किस प्रकार काम करता है:
पहाड़ियों और पठारों का रोल – ओोग्राफिक लिफ्ट (Orographic Lift)
1. 48 घंटे का अलर्ट ओोग्राफिक प्रभाव की प्रक्रिया
- जब समशीतोष्ण मानसून हवाएँ पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमालय या अरावली से टकराती हैं, तो उन्हें ऊपर उठना – “लिफ्ट“ – पड़ता है।
- हवा जब ऊँचाई पर जाती है, तो इसमें मौजूद नमी ठंडी होकर संघनित होकर भारी बारिश (ओरोग्राफिक रेन) का रूप ले लेती है ।
2. 48 घंटे का अलर्ट हरियाणा–पंजाब का प्रोफाइल
- भले ही पंजाब और हरियाणा ज्यादातर मैदान हैं, लेकिन इनके उत्तर में स्थित अल्प पर्वतीय तल और ढलान मानसून बादलों को ऊपर चढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
- इससे ये क्षेत्र बिना किफ़ायत भारी बरसात के लिए विषम–छोटे स्केल पर संवेदनशील हो जाते हैं ।
वेस्टर्न डिस्ट्रबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) का अहम योगदान
1. विकसित पश्चिमी विक्षोभ
- यह एक उच्च वायुमंडलीय प्रणाली होती है जो यूरोपीय भूमध्य सागर क्षेत्र से निकलकर उत्तरी भारत तक पहुंचती है, और हवा में तूफ़ानी तेजी ला देती है ।
2. पहाड़ियों पर पहुँचकर एवं टकराकर बड़ा असर
- जैसे ही यह विक्षोभ हिमालय की ढाल से टकराता है, हवा ऊपर उठती है और भारी वर्षा व वज्रपात पैदा कर सकती है – विशेष रूप से पंजाब–हरियाणा–चंडीगढ़–दिल्ली के सीमावर्ती भागों में ।
क्षेत्रीय स्वरूप – अम्बियंस और माइक्रो–क्लाइमेट
1. माइक्रो–क्लाइमेट बनता है
- पठारों, ढलानों और ऊँचाई के कारण पूर्वानुमानों में मामूली अंतर रह जाते हैं।
- उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ में मानसून सत्र में 195 mm/दिन तक बारिश हो सकती है, जबकि आसपास के मैदानों में अपेक्षाकृत कम ।
2. तेज़ हवाओं और झोंकों का निर्माण
- जब हवा अचानक ऊपर उठती है, तो इसका संपीड़न तेज़ हो जाता है, जिससे स्थानीय तूफ़ानी झोंके (gusty winds) बनते हैं—जो 50–70 km/h तक पहुंच सकते हैं
ऐतिहासिक उदाहरण और ज़मीनी असर
Yamunanagar, Haryana (14 जुलाई 2016):
- हिमालयी ढलान के बीच अचानक भारी बारिश हुई, जिससे स्थानीय बाढ़ और पानी का तेज़ बहाव पैदा हुआ
उत्तर भारत की हालिया वर्षा:
- 2023 में मानसून + वेस्टर्न डिस्ट्रबेंस की संयुक्त गतिविधि ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में बाढ़–भूस्खलन व बड़े पैमाने पर तबाही मचाई ।
1993 की भयंकर बाढ़:
- लंबी अवधि की मानसूनी बारिश और गोलाकार भू-आकृतिक प्रभावों के कारण, 550+ लोगों की मौत, लाखों लोग बेघर, और ब्रिज, फसलें गायब हो गयीं ।
विश्लेषण: प्रभाव और बचाव
तत्व | लैंडस्केपीटिव कारण | संभावित परिणाम |
पठारी ढलान | हवा ऊपर उठना–ओरोग्राफिक लिफ्ट | अचानक भारी बारिश, localized thunderstorms |
वेस्टर्न डिस्ट्रबेंस | हिमालय पर टकराना | बड़े पैमाने पर असर, वज्रपात, तेज हवाएं |
स्थानीय भू-आकृति | डिप्रेशंस, लेवल बदलाव | जल-रोक, जलनिकास अड़चनें, बाढ़ का खतरा |
ऐतिहासिक घटनाएँ | Yamunanagar 2016, 1993, 2023 उत्तर भारत | इंफ़्रास्ट्रक्चर क्षति, कृषि संपत्ति पर भारी असर, जनजीवन प्रभावित |
निष्कर्ष:
- पूर्वोत्तर दिशा में पहाड़ियों के ऑरोग्राफिक लैंडस्केल्पेटिव इम्पैक्ट की वजह से, ये क्षेत्र कई बार अचानक भारी बारिश, तेज़ आंधियां, और स्थानीय बाढ़ के शिकार बन जाते हैं।
- इसलिए, मौसम चेतावनी में केवल मनोवैज्ञानिक वार्निंग ही नहीं, बल्कि जमीनी तैयारियाँ – जैसे जल निकासी, स्थानीय आपदा रेस्पोंस टीमें, और इंफ्रास्ट्रक्चरल चिह्न – भी शामिल होनी चाहिए।
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