बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा में कथित अनियमितताओं के विरोध में छात्रों का आंदोलन तेज हो गया है।इस आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में प्रशांत किशोर, जन सुराज पार्टी के संस्थापक और प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार भी शामिल हैं।हालाँकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रशांत किशोर को आईसीयू में भर्ती कराया गया है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
प्रशांत किशोर का आंदोलन में सक्रिय भूमिका
प्रशांत किशोर ने बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में खुलकर अपनी भूमिका निभाई है।उन्होंने छात्रों के साथ मिलकर पटना के गांधी मैदान में ‘छात्र संसद’ का आयोजन किया, जहां उन्होंने छात्रों की मांगों का समर्थन किया और सरकार से परीक्षा रद्द करने की मांग की।उन्होंने सरकार को तीन दिनों का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
पुलिस कार्रवाई और विवाद
29 दिसंबर 2024 को पटना के गांधी मैदान में बीपीएससी अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए।प्रशांत किशोर ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और कहा कि सरकार छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है।उन्होंने कहा, “अगर फिर से छात्रों पर लाठी चलाई गई, तो नीतीश कुमार की कुर्सी हिलती हुई नजर आएगी।
एफआईआर और कानूनी कार्रवाई
प्रदर्शन के बाद, पटना पुलिस ने प्रशांत किशोर समेत 600-700 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें उन पर छात्रों को उकसाने और विधि-व्यवस्था भंग करने के आरोप लगाए गए।प्रशांत किशोर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे केवल छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़े हैं और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करते हैं।
भूख हड़ताल की घोषणा
छात्रों के समर्थन में प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी 2025 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा की है।उन्होंने कहा कि जब तक सरकार छात्रों की मांगों को नहीं मानती, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।उन्होंने कहा, “अगर छात्रों के साथ अन्याय होता है, तो हम पूरी ताकत से उनके साथ खड़े होंगे।
आईसीयू में भर्ती होने की अफवाहें
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रशांत किशोर को पुलिस लाठीचार्ज में गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है।हालांकि, इन दावों की पुष्टि के लिए कोई आधिकारिक बयान या विश्वसनीय स्रोत उपलब्ध नहीं है।प्रशांत किशोर या उनकी पार्टी की ओर से भी इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं की गई है।

छात्रों की मांगें और सरकार की प्रतिक्रिया
बीपीएससी अभ्यर्थियों की मुख्य मांग है कि 13 दिसंबर को आयोजित 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द किया जाए और पुनः परीक्षा आयोजित की जाए, क्योंकि वे परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक सहित अनियमितताओं का आरोप लगा रहे हैं।सरकार ने अब तक इस मांग पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है, जिससे छात्रों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
आंदोलन का भविष्य और संभावित परिणाम
प्रशांत किशोर के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।यदि सरकार छात्रों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो आंदोलन और व्यापक हो सकता है, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है।प्रशांत किशोर की सक्रिय भागीदारी और भूख हड़ताल की घोषणा ने इस आंदोलन को और मजबूती दी है।
निष्कर्ष
बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितताओं के विरोध में चल रहा यह आंदोलन बिहार में शिक्षा प्रणाली और सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की मांग को दर्शाता है।प्रशांत किशोर की भूमिका ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है।आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और आंदोलनकारी किस दिशा में आगे बढ़ते हैं और क्या समाधान निकलता है।
इस बीच, प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य के बारे में फैली अफवाहों की पुष्टि के लिए आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि सही तथ्यों के आधार पर ही निष्कर्ष निकाला जा सके।
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