केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधिकारियों के लिए एक ‘समूहिक चर्चा’ (Collective Discussion) सत्र आयोजित किया। इस सत्र का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक सुधारों को गति देना था, बल्कि कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारियों और कार्यक्षमता में सुधार के लिए प्रोत्साहित करना भी था। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नमेंट’ सिद्धांत का एक हिस्सा है, जो पारदर्शिता और जन-केंद्रित प्रशासन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
सत्र के प्रमुख बिंदु
- प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकारी प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण:
जितेंद्र सिंह ने चर्चा के दौरान इस बात पर जोर दिया कि पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने विभिन्न योजनाओं और सेवाओं को डिजिटल रूप से सुलभ बनाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने CPGRAMS (Central Public Grievance Redress and Monitoring System) जैसे पोर्टल्स का उल्लेख किया, जो नागरिकों की शिकायतों को समय पर निपटाने में सक्षम है। - जन-केन्द्रित शासन और पारदर्शिता:
जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने नागरिक-केंद्रित प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए कई सुधार लागू किए हैं। शिकायत निवारण प्रक्रिया को तेज़ और प्रभावी बनाने के लिए IGMS 2.0 पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग किया जा रहा है। इससे न केवल शिकायतों का निवारण तेज़ हुआ है, बल्कि इससे अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेह बनाया गया है। - स्वच्छता अभियान और ई-ऑफिस संस्कृति:
इस सत्र में स्वच्छता विशेष अभियान 3.0 के प्रभाव और उसे सफलतापूर्वक लागू करने के तरीकों पर भी चर्चा की गई। स्वच्छता अभियान के तहत कार्यालयों के डिजिटलीकरण पर ध्यान दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश सरकारी कार्यालय अब eOffice प्रणाली के माध्यम से पेपरलेस हो चुके हैं।
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सरकारी कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण पर जोर
केंद्रीय मंत्री ने कर्मचारियों के स्किल डेवलपमेंट और उनकी क्षमता को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया। उन्होंने बताया कि ‘कर्मयोगी प्रारंभ’ जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सरकारी कर्मचारियों की प्रशिक्षण प्रक्रिया में शामिल किया गया है, जिससे उनकी कार्यक्षमता और ज्ञान में वृद्धि हो सके। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य कर्मचारियों को न केवल उनके मौजूदा कार्य में निपुण बनाना है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी उन्हें तैयार करना है।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल और उनके प्रभाव
जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई पहल, जैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), ने नागरिकों के जीवन को सरल बनाने और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन सुधारों ने न केवल भ्रष्टाचार को कम किया है, बल्कि सरकार के प्रति जनता का विश्वास भी बढ़ाया है। डिजिटल इंडिया और eGovernance जैसी पहलों से न केवल सरकारी प्रक्रियाएं तेज़ और सटीक हुई हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया गया है कि सरकारी योजनाएं सभी तक पहुंचें।
निष्कर्ष
जितेंद्र सिंह का ‘समूहिक चर्चा’ सत्र, एक महत्वपूर्ण कदम है जो कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित करने के लिए आयोजित किया गया था। इस प्रकार के सत्र न केवल प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा देते हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और जन-शिकायतों के त्वरित समाधान में भी सहायक होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जन-केन्द्रित प्रशासन और डिजिटलीकरण के माध्यम से सुशासन के नए मानक स्थापित किए हैं।
इस सत्र का उद्देश्य था सरकारी कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और जन-हितैषी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना, जिससे ‘विकसित भारत 2047’ की परिकल्पना को साकार किया जा सके।