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ED ने छत्तीसगढ़ की IAS अधिकारी रानू साहू को जिला खनिज निधि ‘घोटाले’ में किया गिरफ्तार

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छत्तीसगढ़ में एक बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक भूचाल उस समय आया जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य की वरिष्ठ IAS अधिकारी रानू साहू को जिला खनिज निधि (DMF) घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ में चल रही खनिज संसाधनों के प्रबंधन में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच का हिस्सा है।

DMF क्या है?

जिला खनिज निधि (DMF) एक विशेष कोष है, जिसे खनन कार्यों से प्रभावित जिलों में स्थानीय विकास कार्यों के लिए बनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं को सुधारना है जहाँ खनन गतिविधियों से पर्यावरण और स्थानीय समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस फंड का उपयोग जिलों में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए होना चाहिए था, लेकिन ED की जांच में सामने आया कि इसका दुरुपयोग हुआ है और फंड के पैसे को गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया है।

क्या है घोटाला?

ED की जांच में यह पाया गया कि DMF के फंड का बड़ा हिस्सा कथित रूप से भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में लगाया गया। यह आरोप है कि अधिकारी और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत से खनन क्षेत्रों में विकास कार्यों के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए और फंड का दुरुपयोग किया गया। आरोप यह भी है कि कई परियोजनाओं में गुणवत्ता से समझौता किया गया और कार्यों को अधूरा छोड़ दिया गया, जबकि फंड का पैसा निकाल लिया गया।

जांच एजेंसियों ने संकेत दिया है कि DMF के करोड़ों रुपये के फंड का गलत इस्तेमाल किया गया और यह घोटाला राज्य के कई जिलों में फैला हुआ है। ED को शक है कि इस घोटाले में राज्य के उच्च स्तर के अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं की भी संलिप्तता हो सकती है, और इसकी जांच व्यापक हो सकती है।

रानू साहू की भूमिका

रानू साहू एक वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कलेक्टर के पद पर कार्य कर चुकी हैं। ED की जांच के अनुसार, साहू की भूमिका जिला कलेक्टर रहते हुए DMF फंड के प्रबंधन में रही। आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान फंड के इस्तेमाल में अनियमितताओं को नजरअंदाज किया या उनमें सीधे तौर पर शामिल रहीं।

ED ने साहू के खिलाफ कई सबूत जुटाए हैं, जिसमें फंड के दुरुपयोग के दस्तावेजी प्रमाण, वित्तीय लेन-देन और ठेकेदारों के साथ सांठगांठ के सबूत शामिल हैं। कई गवाहों और अन्य आरोपियों के बयान भी साहू के खिलाफ दर्ज किए गए हैं, जिससे उनकी गिरफ्तारी संभव हो पाई।

साहू की गिरफ्तारी और आगे की प्रक्रिया

प्रवर्तन निदेशालय ने साहू को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। ED ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज किया है। गिरफ्तारी के बाद साहू को अदालत में पेश किया गया, जहां ED ने उन्हें रिमांड पर लेने की मांग की ताकि उनसे गहन पूछताछ की जा सके और अन्य दोषियों की पहचान हो सके।

साहू की गिरफ्तारी से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है, क्योंकि DMF घोटाले की जांच पहले से ही राज्य सरकार के कई अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को घेरे में ले रही है। साहू की गिरफ्तारी के बाद यह आशंका बढ़ गई है कि घोटाले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।

राज्य सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन विपक्षी दल भाजपा ने राज्य सरकार और कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा है। भाजपा का आरोप है कि राज्य में खनिज संसाधनों के प्रबंधन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और सरकार इसे छिपाने का प्रयास कर रही है।

भाजपा नेताओं ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी या नेता क्यों न हो। दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश है।

ED की कार्रवाई और भविष्य की संभावनाएं

ED ने साहू की गिरफ्तारी के साथ ही कई अन्य अधिकारियों और ठेकेदारों से भी पूछताछ शुरू कर दी है। यह जांच अभी शुरुआती चरण में है और संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े नाम इस मामले में सामने आ सकते हैं।

DMF घोटाले की जड़ें राज्य के खनन क्षेत्रों में गहराई तक फैली हुई हैं, और ED अब इन क्षेत्रों में फंड के इस्तेमाल की गहन जांच कर रही है। यह भी संभावना है कि ED अन्य जिलों में भी DMF फंड के दुरुपयोग की जांच शुरू कर सकती है, जिससे राज्य में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

निष्कर्ष

रानू साहू की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करने वाली घटना है। DMF घोटाला राज्य के खनन क्षेत्रों में विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का प्रतीक बन गया है। ED की इस कार्रवाई से यह साफ है कि जांच एजेंसी इस मामले को गंभीरता से ले रही है और आने वाले समय में और भी खुलासे हो सकते हैं।

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि साहू की गिरफ्तारी के बाद जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं पर भी शिकंजा कसा जाता है। फिलहाल, राज्य की जनता इस घोटाले के हर नए मोड़ पर नजर रख रही है, क्योंकि इसका सीधा असर राज्य के विकास और प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़ सकता है।

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