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Income Tax 25-26: भरने की टेंशन खत्म! जानें ITR-1 और ITR-4 में क्या है

ITR-1 vs ITR-4: किसमें क्या भरना होता है? यहाँ है सरल तुलना Income Tax

परिचय

भारतीय Income Tax विभाग ने हाल ही में आकलन वर्ष (Assessment Year) 2025-26 के लिए ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) फॉर्म अधिसूचित किए हैं। यह निर्णय करदाताओं (Taxpayers) के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन फॉर्म्स में कुछ नए बदलाव और सुविधाएँ शामिल की गई हैं। इस लेख में, हम ITR-1 और ITR-4 फॉर्म्स की पूरी जानकारी, उनमें हुए बदलाव, और इन्हें भरने के आसान तरीके के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

Income Tax ITR-1 (सहज) फॉर्म क्या है?

ITR-1 फॉर्म, जिसे ‘सहज’ (Sahaj) के नाम से भी जाना जाता है, उन व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जिनकी आय के निम्नलिखित स्रोत हैं:

  1. वेतन/पेंशन आय (Salary/Pension Income)
  2. एक घर से प्राप्त किराया आय (Income Tax from One House Property)
  3. अन्य स्रोतों से आय (Interest Income, Family Pension, etc.)
  4. कृषि आय (Agricultural Income – ₹5,000 तक)

Income Tax ITR-1 फॉर्म में नए बदलाव (2025-26)

  • डिजिटल लेनदेन की रिपोर्टिंग: अब ITR-1 में डिजिटल भुगतान (UPI, Credit/Debit Cards) के माध्यम से किए गए लेनदेन का विवरण देना अनिवार्य हो सकता है।
  • क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स: यदि आपने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है, तो उसकी जानकारी देनी होगी।
  • TDS विवरण में सुधार: बैंकों और अन्य संस्थानों द्वारा काटे गए TDS का अधिक विस्तृत विवरण देना होगा। आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए ITR-1 (सहज) फॉर्म में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो करदाताओं के लिए अधिक पारदर्शिता और सुविधा लाने का प्रयास करते हैं। इस वर्ष के नए प्रावधानों में डिजिटल लेनदेन की विस्तृत रिपोर्टिंग शामिल है, जहाँ UPI, क्रेडिट/डेबिट कार्ड और अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों से किए गए लेनदेन का विवरण देना अनिवार्य हो सकता है। साथ ही, क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों में निवेश करने वाले करदाताओं को अब इनकी जानकारी भी दर्ज करनी होगी। TDS विवरण में सुधार किया गया है, जिसमें बैंकों और अन्य संस्थानों द्वारा काटे गए TDS का अधिक विस्तृत ब्यौरा देना आवश्यक होगा। इसके अलावा, फॉर्म में कुछ नए सेक्शन जोड़े गए हैं, जो आय के विभिन्न स्रोतों को बेहतर ढंग से ट्रैक करने में मदद करेंगे। ये बदलाव करदाताओं को अधिक सटीकता के साथ अपना रिटर्न दाखिल करने में सहायता प्रदान करेंगे और आयकर विभाग को डेटा विश्लेषण में भी मदद मिलेगी। इन अपडेट्स का उद्देश्य कर प्रक्रिया को और अधिक सरल एवं उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना है, जिससे आम नागरिकों को टैक्स भरने में आसानी हो।

Income Tax ITR-4 (सुगम) फॉर्म क्या है?

ITR-4 फॉर्म, जिसे ‘सुगम’ (Sugam) कहा जाता है, उन छोटे व्यवसायियों और पेशेवरों के लिए है जो प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम (Presumptive Taxation Scheme) के तहत टैक्स भरते हैं। यह फॉर्म निम्नलिखित लोगों के लिए उपयुक्त है:

  1. छोटे दुकानदार (Small Shopkeepers)
  2. फ्रीलांसर्स (Freelancers)
  3. छोटे कारोबारी (Small Business Owners)
  4. पेशेवर (डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट)

Income Tax ITR-4 (सुगम) फॉर्म में नए बदलाव (2025-26)

Income Tax Department ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए ITR-4 (सुगम) फॉर्म में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और पेशेवरों के लिए टैक्स रिटर्न फाइलिंग को और अधिक सुविधाजनक बनाने का प्रयास करते हैं। इस वर्ष के प्रमुख अपडेट्स में प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम (Presumptive Taxation Scheme) की सीमा में वृद्धि, GST डेटा का अनिवार्य एकीकरण, और डिजिटल लेनदेन पर अधिक जोर शामिल हैं।

1. प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन सीमा बढ़ी (Higher Turnover Limit for Presumptive Taxation)

  • अब ₹3 करोड़ तक के टर्नओवर वाले छोटे व्यवसायी प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम का लाभ उठा सकते हैं, बशर्ते कि उनके 95% से अधिक लेनदेन डिजिटल माध्यम (UPI, बैंक ट्रांसफर, कार्ड पेमेंट) से हुए हों।
  • पहले यह सीमा ₹2 करोड़ थी, लेकिन डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए इसे बढ़ाया गया है।

2. GST डेटा का ITR के साथ अनिवार्य मिलान (Mandatory GST-ITR Linking)

  • यदि आप GST रजिस्टर्ड हैं, तो अब आपको अपने GST रिटर्न और ITR-4 में दर्ज आय का मिलान करना होगा।
  • GSTIN नंबर और रिटर्न फाइलिंग की स्थिति दर्ज करना अनिवार्य होगा, जिससे टैक्स इवेजन पर रोक लगेगी।

3. डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन (Incentives for Digital Transactions)

  • जो व्यवसायी अधिक डिजिटल भुगतान स्वीकार करते हैं, उन्हें कुछ टैक्स छूट या कम दर का लाभ मिल सकता है।
  • कैश लेनदेन की सीमा और अधिक सख्त हो सकती है, जिससे डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा मिलेगा।

4. नए सेक्शन जोड़े गए (New Reporting Requirements)

  • क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स की बिक्री/खरीद की जानकारी देनी होगी।
  • TDS/TCS का विस्तृत विवरण (विशेषकर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से काटे गए TCS के बारे में)।
  • अतिरिक्त आय स्रोत (यदि कोई अन्य व्यवसाय या निवेश से आय है) की रिपोर्टिंग करनी होगी।

निष्कर्ष

ITR-4 फॉर्म में किए गए ये बदलाव छोटे व्यापारियों और स्वरोजगार करने वालों के लिए टैक्स अनुपालन को आसान बनाने के साथ-साथ पारदर्शिता बढ़ाने का काम करेंगे। GST और डिजिटल लेनदेन को ITR से जोड़ने से टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा, साथ ही डिजिटल इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा। यदि आप ITR-4 के तहत रिटर्न फाइल करते हैं, तो इन नए नियमों का ध्यान रखें और समय पर अपना टैक्स रिटर्न जमा करें।

अधिक जानकारी के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ या किसी कर सलाहकार से संपर्क करें।

Income Tax ITR-1 और ITR-4 में अंतर

पैरामीटरITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
उपयोगकर्तासैलरीड व्यक्ति, पेंशनभोगीछोटे व्यवसायी, दुकानदार, फ्रीलांसर
आय स्रोतव्यापार/पेशे से आय (प्रेजम्प्टिव)
कृषि आयकेवल ₹5,000 तकशामिल नहीं
GST लिंकिंगआवश्यक नहींGST रजिस्टर्ड व्यक्तियों के लिए अनिवार्य

Income Tax ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) में प्रमुख अंतर

आयकर विभाग द्वारा जारी ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) फॉर्म अलग-अलग प्रकार के करदाताओं के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यहाँ इन दोनों फॉर्म्स के बीच प्रमुख अंतरों की तुलना दी गई है:

1. उपयोगकर्ता (Eligibility)

ITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
वेतनभोगी कर्मचारी, पेंशनभोगीछोटे व्यापारी, दुकानदार, स्वरोजगार करने वाले (फ्रीलांसर, डॉक्टर, वकील आदि)
केवल व्यक्तिगत आय (कोई व्यवसाय नहीं)व्यवसाय या पेशे से आय (प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत)

2. आय के स्रोत (Income Sources)

ITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
वेतन/पेंशन
एक घर से प्राप्त किराया
ब्याज आय (FD, बचत खाता)
कृषि आय (₹5,000 तक)
व्यापार/पेशे से आय
प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन (44AD/44ADA)
किराया आय (यदि व्यवसाय से संबंधित नहीं)
कृषि आय शामिल नहीं

3. टर्नओवर सीमा (Turnover Limit)

ITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
लागू नहीं (केवल वेतन/अन्य आय)₹3 करोड़ तक (यदि 95% डिजिटल भुगतान हो)

4. GST अनिवार्यता (GST Compliance)

ITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
GST से संबंधित कोई जानकारी नहींGST रजिस्टर्ड व्यक्तियों को GSTIN और रिटर्न दर्ज करना अनिवार्य

5. डिजिटल लेनदेन रिपोर्टिंग (Digital Transaction Reporting)

ITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
UPI/क्रेडिट कार्ड लेनदेन दर्ज करना होगाअधिक डिजिटल भुगतान करने पर टैक्स छूट का लाभ

6. क्रिप्टो/डिजिटल एसेट्स (Crypto & Digital Assets)

ITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
निवेश की जानकारी देनी होगीव्यवसाय से जुड़े क्रिप्टो लेनदेन की रिपोर्टिंग

7. TDS/TCS विवरण (TDS/TCS Details)

ITR-1 (सहज)ITR-4 (सुगम)
बैंक/कंपनी द्वारा काटे गए TDS की जानकारीई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (Amazon, Flipkart) द्वारा काटे गए TCS की रिपोर्टिंग

निष्कर्ष (Conclusion)

  • ITR-1 (सहज) उन लोगों के लिए है जिनकी आय वेतन, किराया या ब्याज से आती है और जो कोई व्यवसाय नहीं करते।
  • ITR-4 (सुगम) छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और पेशेवरों के लिए है जो प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम का लाभ लेना चाहते हैं।

यदि आप सैलरीड इंडिविजुअल हैं, तो ITR-1 चुनें, और यदि छोटा बिज़नेस चलाते हैं, तो ITR-4 का उपयोग करें।

ध्यान दें: गलत फॉर्म चुनने पर आपका ITR रिजेक्ट हो सकता है, इसलिए सही फॉर्म का चयन करें।

अधिक जानकारी के लिए आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाएँ या कर सलाहकार से संपर्क करें।

Income Tax ITR फाइल करने की आसान गाइड

चरण 1: सही ITR फॉर्म चुनें

  • यदि आप सैलरीड हैं और कोई व्यापार नहीं करते, तो ITR-1 चुनें।
  • यदि आप छोटे व्यापारी हैं, तो ITR-4 का उपयोग करें।

चरण 2: दस्तावेज़ एकत्र करें

  • PAN कार्ड
  • फॉर्म 16 (यदि सैलरीड हैं)
  • बैंक स्टेटमेंट
  • TDS प्रमाणपत्र (Form 16A, 16B, 16C)
  • GST रिटर्न (यदि ITR-4 भर रहे हैं)

चरण 3: इनकम टैक्स पोर्टल पर लॉगिन करें

  • www.incometax.gov.in पर जाएँ।
  • “File Income Tax Return” पर क्लिक करें।

चरण 4: फॉर्म भरें और सबमिट करें

  • सभी विवरण ध्यान से भरें।
  • प्रीव्यू करने के बाद सबमिट करें।
  • ITR वेरिफिकेशन (ई-वेरिफाई या डाक से) करें।

निष्कर्ष

Income Tax Department द्वारा ITR-1 और ITR-4 फॉर्म्स में किए गए बदलाव करदाताओं के लिए अधिक पारदर्शिता और सुविधा लाने का प्रयास हैं। यदि आप सैलरीड कर्मचारी या छोटे व्यापारी हैं, तो इन फॉर्म्स का उपयोग करके आसानी से अपना टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। समय पर ITR फाइल करने से पेनाल्टी से बचा जा सकता है और आयकर विभाग के साथ अच्छा अनुपालन रिकॉर्ड बनाया जा सकता है।

अगर आपको ITR भरने में कोई संदेह है, तो किसी कर सलाहकार (Tax Consultant) से सलाह लेना उचित होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. क्या ITR-1 और ITR-4 ऑफलाइन भर सकते हैं?
हाँ, आप इन्हें ऑफलाइन भरकर ई-फाइल कर सकते हैं।

Q2. ITR फाइल न करने पर क्या पेनाल्टी है?
यदि टैक्स देय है और ITR नहीं भरते हैं, तो ₹5,000 तक का जुर्माना लग सकता है।

Q3. क्या ITR-4 में कृषि आय शामिल कर सकते हैं?
नहीं, ITR-4 में कृषि आय शामिल नहीं की जा सकती।

Q4. ITR सबमिट करने की अंतिम तिथि क्या है?
आमतौर पर 31 जुलाई होती है, लेकिन विस्तार भी मिल सकता है।

इस लेख को पढ़कर आप ITR-1 और ITR-4 फॉर्म्स के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यदि कोई प्रश्न हो, तो कमेंट में पूछें!

Note:-अपना पसंदीदा फ़ोन खोजें वेबसाइट पर- MyphoneEra.com

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